________________
नत्याध्यायः
श्लोक संख्या
९३२
१३. १४.
खण्डसूचि पाणिपाश्र्वगत एकपाश्चंगत परावृत्त एफजानुनत
९३४ ९३५ ९३६
पृष्ठ संख्या
२५३ २५३ २५३ २५. २५४ २५४ २५४ २५४ २५४
९३७
९३८
२०.
वैष्णव . शैव कूर्मासन गरुड वृषभासन नागबन्ध
९४०
२१.
२५५
२२. २३.
९४१ ९४२. ९४३
२५५
२५५
१.
९४३
२५५ २५५
छह सुप्त स्थानक
सम नत और उसका विनियोग आकुञ्चित और उसका विनियोग प्रसारित विवर्तित उद्वाहित और उसका विनियोग
९४५
२५६
९४६
२५६
२५६
९४८
२५६
चारी प्रकरण / दस
२५९
चारियों का निरूपण
चारी ( चेष्ठाकृतिविशेष भावाभिव्यंजन) चारियों के भेद भूमिचारी के भेद आकाशचारीके भेद देशीचारी (भूमिगत) के भेष देशीचारी (आकाशगत) के भेद
९४९-९५० ९५१-९५३ ९५४-९५६ ९५७-९५९ ९६०-९६५ .
२५९-२६० २६० २६.
२६१-२६२