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________________ अंगुष्ठ के लक्षण-विनियोग मृत्याध्यायः अङ्गुष्ठस्यापि मेदाः स्युरेत एवोक्त लक्षणाः । उक्त उँगलि-भेदों के ही अनुरूप अंगुष्ठ के भी लक्षण - विनियोग होते हैं । छह प्रकार के पादतल का निरूपण तल ( पादतल) के भेद १.८० कुञ्चन्मध्यं तिरश्चीनं पतिताग्रमधोगतम् । उद्वृत्ताग्रं भूमिलग्नं षोढान्वर्थं तलं मतम् ॥ ५६६॥ 592 593 अर्थ के अनुरूप पादतल के छह भेद होते है : १. कुञ्चिन्मध्य ( सिकुड़े हुए मध्य भाग वाला ), २. तिरश्चीन (तिरछा ), ३. पतिताप्र ( गिरे हुए अग्रभाग वाला ), ४. अधोगत (नीचे की ओर गया हुआ), ५. उद्बुताग्र ( उठे हुए अग्रभाग वाला) और ६. भूमिलग्न (भूमि से सटा हुआ ) । उपांग निरूपण समाप्त
SR No.034223
Book TitleNrutyadhyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokmalla
PublisherSamvartika Prakashan
Publication Year1969
Total Pages514
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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