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________________ प्रधान संपादकीय किंचित् वक्तव्य । राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित राजस्थान पुरातन ग्रन्थ मालाका, यह ४७ वां ग्रन्थ, मम्मट महाकविकृत काव्यप्रकाश के द्वितीय भागके रूपमें, विद्वानोंके सम्मुख उपस्थित हो रहा है। इसके पूर्वके प्रन्यांक ४६ के 'किंचित् प्रास्ताविक' में हमने इस के विषयमें जैसा सूचित किया है, यह भाग उक्त ग्रन्थका विस्तृत प्रस्तावना एवं परिशिष्टादि संग्रहात्मक स्वरूप है। इसके अवलोकनसे विज्ञ अभ्यासियोंको प्रतीत होगा कि संपादक विद्वान् श्रीयुत परिखने इसके संपादन कार्यमें कितना परिश्रम उठाया है और किस प्रकारकी प्रन्थसंबद्ध मूल्यवान सामग्रीका संकलन किया है। इसके लिये हम यहां पुनः हमारे परमप्रीतिपात्र और चिरमित्र खरूप इनके प्रति अपना हार्दिक कृतज्ञ भाव प्रकट करना चाहते हैं। इसके पूर्व प्रन्थमें हमने निर्दिष्ट किया ही है कि राजस्थान सरकारने, जैसलमेरके प्राचीन ज्ञान भंडारमें, हमारे राष्ट्रीय साहित्यके जो अमूल्य प्रन्थरन छिपे पडे है उनको प्रकाशमें लानेकी एक विशिष्ट योजना स्वीकार की है और तदनुसार, हमने राजस्थान पुरातन ग्रन्थमालाके अन्तर्गत 'जैसलमेर ज्ञानभंडार ग्रन्थोद्धार ग्रन्थमाला' नामकी एक 'पृथक् श्रेणि ( सीरीझ ) प्रकट करना प्रारंभ किया है। उसीके द्वितीय अंकके रूपमें यह पुस्तक प्रकट हो रही है। इस पुस्तकमें, मूल प्राचीन ताडपत्रीय प्रतिके ४ पन्नोंके फोटोब्लाक बनवाकर उनके चित्र दिये जा रहे हैं जिससे विद्वानोंको उसकी लिपि आदिका यथेष्ट दर्शन हो सकेगा।
SR No.034219
Book TitleKavya Prakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMammatacharya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1959
Total Pages232
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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