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161
347 B. C.
348 B
3490
350 B
351 d
352 B
353 B
354 C
355 B
356 c
357 d
358 B
a
363B. C.
364 c
365 B
366 B
367 B
368 c
369 B
370 B. C.
371 B
स्वर्गपाताल
गमर्न
372 B
378 B
सा
drops
वदानं
निबंध Read no. 352
on निबद्धव्यम् सत्यत्वप्रतिभासेन
"मप्यन्यथा
काव्यप्रकाशवाचनायाः पाठान्तराणि
374 B
नित्याद्युत्तमे नाधमेन
359 B
360 c
चकृतं वसन्त
361 B
नायकको पोपवर्णनम् 362 A B प्रसिद्धौचित्यबंधस्तु
Read
औचित्यो
अप्येते
इत्युच्यन्ते
संरोहफुलका
"दुत्सुकमागत इत्यादी
पत्तिकारणा
र्न परमदोषः
भट्टारकेति नोतमेन
Read no. 356 on भट्टार
केति
drops परमेश्वरेति न मुनिप्रभृतौ
Read no 357 on परमेवरेति
Omit no. 357 on प्रकृति
● दिसमुचित
● दिकमुचित
निबंदस्य
वदनं हृदन्ते
डु 'वेनोम्
no.
362
Read no. 368 on नोर्नि
after कुछ adds भूयोपि दृश्येत सा दोषाणामुपशांतये श्रुतमहो कोपेषिकांत मुखमित्यादी
on
375 B. C.
376 B
377 B. C.
378 B
C
379 B 380 B C
C.
381 B
382 B
383 c
384 B
385 A
386 B
387 c
388 B
1c
20
3 B
4c
5 c
6. C.
7 B
8B
9
10 B 11 B
C
12 B
13 B
14 B. C.
●लमति
Read no. 374 on far
त्वमिति
न्तर्येण यो रसः
शृङ्गारयोवीररसोंतर्निवेशितः ।
०
[ उ. ७-८
यथा
● कर्षीत्यादि
has the whole verse
no. 337
पोषयति चमत्कार कारीणि 'लोकयत्स्पृह
"देता "रशो मुनय
विषया या रतिः प्रतीयते
'थिभिरिति
साखनेप्रो०
तथा शर
नाव स्थायिभाव
Read no. 388 on 'शब्दे
नात्र
उल्लासः
'रस्य तथा
गुण
● दिरसव्यंजक
सुकुमारादिवर्णानां
मधुरादिव्यव विभ्रान्तप्रतीति
संश्रिताः instead of जातु
चित्
ये वाच्यवाचकलक्षणा°
'रसव्यक्तिलोकवैचित्र्य' 'पर्यवासिताः
writes and omits
कम उदाहरणानि
यथाक्रम उदाहरणानि
दूरमेव मनोरोगलीव
न मां त्रातुं तातः