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________________ प्रसाद, साह श्रेयांस प्रसाद, श्री चीमनलाल चकुभाई, श्रीदुर्लभजी भाई खेताणी आदि भी भगवान महावीर के २५सोवें निर्वाण महोत्सव को लक्ष्य में रखकर अनेक बार मिलते रहे हैं तथा अनेक आवश्यक प्रश्नों पर कार्यकर्ता प्रादि भी प्रापकी सहृदयता तथा विशाल अनुभव का लाभ लेने के लिए बार-बार मिलते रहे हैं। सुप्रसिद्ध लेखक, कवि और प्राध्यापक भी आपके साथ विचार-विनिमय करने के इच्छुक रहते हैं। पूज्य महाराजश्री संगीत के ज्ञाता हैं, इतना ही नहीं, अपितु संगीतकारों का सम्मान करना भी जानते हैं, इसीलिये सुप्रसिद्ध संगीतकार महेन्द्र कपूर, मुकेश, कल्याणजी प्रानन्दजी, पुरुषोत्तम उपाध्याय, देवेन्द्र विजय पण्डित, शान्तिलाल शाह, मास्टर वसन्त, अविनाश व्यास, पिनाकिन शाह, वाणी जयराम, कौमुदी मुन्शी, हंसा दवे, कमलेश कुमारी, मनुभाई तथा अन्य अनेक प्रसिद्ध-प्रप्रसिद्ध कलाकारों ने आपका परिचय प्राप्त किया है और सन्त-समागम का प्रानन्दानुभव किया है । 'जैन संस्कृति कला केन्द्र' की ओर से उतारी गई रिकाडौं के प्रसंग से भी यह परिचय हुमा है। प्रसिद्ध अभिनेता श्री प्रदीपजी, अभिनेत्री श्रीनरगिस आदि भी आपके दर्शन प्राप्त करके वासक्षेप माशीर्वाद ले चुके हैं । क्या श्रीमान् और क्या धीमान् सभी मुनिराज जी की अपूर्व प्रतिभा से प्रभावित हैं । उदात्त कार्यकलाप जीवन के विविध क्षेत्रों में विकास-प्राप्त व्यक्तियों के इस विस्तृत परिचय के कारण प्रापकी ज्ञानधारा अधिक विशद बनी है, आपके विचारों में पर्याप्त उदात्तता पाई है तथा पाप धर्म के साथ ही समाज और राष्ट्र-कल्याण की हष्टि को भी सम्मुख रखते रहे हैं। धार्मिक अनुष्ठानादि में भी आप की प्रतिभा झलकती रही है तथा उसके फलस्वरूप उपधान-उद्यापन, उत्सवमहोत्सव आदि में जनता की अभिरुचि बढ़े ऐसे अनेक. नवीन अभिगम प्रापने दिए हैं। जैन-जनेतर हजारों स्त्री-पुरुष प्रापसे प्रेरणा प्राप्त करके प्राध्यात्मिक उत्कर्ष प्राप्त कर पाए हैं। अष्टग्रहयुति के समय 'विश्वशान्ति जैन आराधना सत्र' की योजना आपके मन में स्फुरित हुई और पूज्य गुरुदेवों की सम्मति मिलने पर बम्बई महानगरी में उसका दस दिन तक अभूतपूर्व प्रायोजन हमा। उस समय निकाले गए.चलसमारोह में प्रायः एक लाख मनुष्यों ने भाग लिया था। देशभक्ति और राष्ट्ररक्षा में सहयोग इसके पश्चात् राष्ट्र के लिए सुवर्ण की आवश्यकता होने पर आपकी ही प्रेरणा से 'राष्ट्रीय जैन सहकार समिति' की रचना की गई और उस समय के गृहमन्त्री श्रीगुलजारी नन्दा को बुलाकर उसके माध्यम से १७ लाख का सुवर्ण गोल्डबॉण्ड के रूप में प्रपित किया गया। - जैन समाज का एक जैन साधु देशभक्ति और राष्ट्ररक्षा के कार्य में सहयोग प्रदान करे यह जनसंघ के राजनीतिक इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखने योग्य घटना है। इस सम्बन्ध में तत्कालीन भारत के प्रधानमन्त्री श्री लालबहादुर शास्त्रीजी ने समिति को पत्र लिखकर मुनिराज जी को वन्दना के साथ अभिनन्दन प्रेषित किया था और हार्दिक धन्यवाद दिया था तथा जैन समाज के लिए उन्नत अभिप्राय व्यक्त किये थे। यहाँ इतना और बतला देना आवश्यक है कि राष्ट्र के लिए किये गए इस पुरुषार्थ का सम्मान करने के लिये माप को भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय पदवी अथवा जो योग्य मानी जाए वैसी पदवी देने के लिए चर्चा प्रारम्भ हुई
SR No.034217
Book TitleKavya Prakash Dwitya Trutiya Ullas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharti Jain Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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