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योगचिन्तामणिः ।
[ पाकाधिकारा:
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मिश्रीकी चासनी करे उसमें उस खोवेको डाले और ये औषधी बौर डाले । सो लिखता हूं - जायफल हरडा, बहेडा, आंवला, दोनों जीर, धनियां, सौंफ, पीपल, इलायची, पीपल, नागरमोथा, नेत्रवाला, दाख, विदारीकंद, भीमसेनी कपूर, छुहारे ये सब औषधि आठ आठ टंक लेनी चाहिये, नारियलकी गिरी १२८ टंक लेनी, शिलाजीत ३२ टंक, चिरौंजी ६४ टंक, निसोथ १२८ टंक इन सबको कूट पीस उसी पाककी चासनी में मिलावे तथा उसमें सुगंधवानी वस्तु और मिलाकर अनुमान मुवाफिक गोली बनालेवे ॥ १४ ॥ सौभाग्य शुण्ठी । शम्भोरुमाप्रीतिकरा च शुण्ठी ब्रह्मास्यतोऽश्रूयत नारदेन । शंभोः कृता वक्षसि कालिकायाः स्थिरं बलं कान्तिदृढं करोति ॥ १॥ सौभाग्यमेधास्मृतिमिष्टवाक्यं सौभाग्यसौन्दर्यमृदुं च गात्रम् । काठिन्ययोनि स्तनबिम्ब देशमशीतिवातान्कफरोगविंशतिम् ॥ २ ॥ चत्वारिंशत्पित्तभवाश्च ये च अष्टौ ज्वरानेकविमिश्ररोगाः । अष्टादशमूत्रगताश्च रोगा नासाक्षिकर्णे मुखशीर्षकेतु ॥ ३ ॥ एतन्मात्रानुसारेणार्द्धमात्रया चतुर्थांशेन कार्यम् ॥
शिव पार्वतीके' प्रितिकर्ता यह सुहागसोंठ नारदने ब्रह्माके मुख से सुनी । श्रीमहादेवजीने बनाकर पार्वतीको सुनाई यह स्थिर बल कांति मौर दृढताको करती है सुन्दरता बुद्धि स्मरण तथा मिष्टवाक्यको करती है सुभग और नरम देहको करै, योनि और स्तन इनको कठोर करे, अस्सी प्रकारकी वादी और अठारह प्रकारके मूत्ररोग, बीस
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