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प्रथमः ] भाषाटीकासहितः। (३१) मुवाफिक वैद्य डाले और कस्तूरी, कपूर, अंबर आदिभी अनुमान मुवाफिक डालकर इसके लड्डू बेलकी बराबर बनावे ये लड्डू मनुष्यकी अग्निका बलाबल देखकर भोजन के पहले देवे और खटाई और बादीका परहेज रक्खे तो “रतिवल्लभपूगीफलपाक ' नामसे विख्यात यह पाक वीर्यको बढावे. कामदेवको प्रबल करे, स्त्रियोंसे भोग करनेमें घोडेके समान पराक्रम करे, अग्निको प्रबल करे, बली हृष्ट पुष्ट होय, यदि बृद्ध मनुष्य भी खाय उसमें तरुण पुरुपकासा पराक्रम होय, चन्द्रमाके सदृश सुन्दर होय ॥ ५-७ ॥
कामेश्वर मोदक। एतस्मिन्रतिवल्लभे यदि पुनः सम्यक्खुरासानिका धत्तूरस्य च बीजमर्ककरभः पाथोधिशोषस्तथा । सन्माजूफलकं तथा खप्तफलं त्वचापि निक्षिप्यते चूर्णाऱ्या विजयातथा स हि भवेत्कामेश्वरो मोदकः । इसी रतिवल्लभ पूगीपाकमें खुरासानी, अजमायन, धत्तूरेके बीज, अकर करा, समुद्रशोष, माजूफल, खसका फल, तज ये डाले और सब चणस आधी भांग डाले तो यह कामेश्वर मोदक बने ॥ १॥
छोटा सुपारीपाक । हेमाम्भोधरचन्दनं त्रिकटुकं जातीप्रियालं कुहूमज्जा चित्रिसुगन्धजीरयुगलं शृंगाटकं वंशजम् । जातीकोशलवंगधान्यकयुतं प्रत्येककर्षद्वयं हैयंगोः कुडबः सिताईतुलना धात्री वरा व्याली॥ पूग स्याष्टपलान्युलूखलवरे संकुटय चूर्णीकृतं क्षीर स्थाढकसंयुतं कृतमिदं मन्दाग्निना तं पचेत् ॥ १ ॥
Aho! Shrutgyanam