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________________ पिंगलारुते संकीर्णप्रकरणम् । . (३५९) अधिष्ठितः कीकसकाष्ठशूलान्यंगारभस्मोपलवामलूरान् ॥ शांतस्वरो वांछितकार्यनाशं दीप्तारवो वक्ति मृति शकुंतः॥ ॥ १३३॥ स्वस्थाननैमित्तिकपादपानां मध्याच ययेकमपि त्रयाणाम् ॥ प्रदक्षिणेन प्रविवेष्टयेत्तत्पिगो दिशत्याश शुभानि पुंसः॥ १३४॥ वामे दृष्टः पिंगलः स्यात्स्वपक्षः पृष्टे कार्य स्यात्फलं प्रष्टुरेवदृष्टः पक्षी दक्षिणेनान्यपक्षः पृष्टं सोथ वक्ति चान्यार्थमेव ॥ १३५ ॥ मध्ये घनो महती च शा खा शुभाय तस्यां शुभशब्दकारी ॥ प्रांते चलाधोवदनातिलघ्वी स्याज्जातु तस्यां शुभदो न पिंगः ॥ १३६॥ ॥ टीका ॥ यच्छति ॥१३२ ॥ अधिष्ठित इति ॥ कीकसकाष्ठशूलान्यंगारभस्मोपलवामलूरान तत्र वामलूरो वल्मीकं व्यमौर इति प्रसिद्धम् अधिष्ठितः शकुतः शांतस्वरः वांछित कार्यनाशं करोति दीप्तारवः पुनर्मृतिं वक्ति॥१३३॥ स्वस्थानति॥स्वस्थाननैमित्तिकपादपानामिति स्वशब्देन शाकुनिकः स्थानं पक्षिनिवासढुम नैमित्तिकः अधिवासि तमः एतेषां त्रयाणां मध्यादेकमपि प्रदक्षिणेन प्रविवेष्टयेत् पिंगः पुंसामाशु शुभानि दिशति ॥ १३४ ॥ वाम इति ॥ वामे दृष्टः पिंगलः स्वपक्षः स्यात् पृष्ट कार्य प्रष्टुरेव फलं स्यात् । दक्षिणेन दृष्टः पक्षी अन्यपक्षः स्यात् स पृष्टमर्थमन्यायमेव वक्ति ॥ १३५ ॥:मध्ये इति । घना निविडा ऊर्द्धा उच्चस्तरा या महती शा ॥ भाषा ॥ अधिष्ठित इति ॥ जो पिंगल हाड, काष्ठकी शूली, अंगार, भस्म, पाषाण, वल्मीकि, व्यमौर इनमें स्थित होय, और शांतस्वर जाको होय तो वांछितकार्यको नाश करै. जो दीप्तस्वर होय तो मृत्यु करै ॥१३॥ स्वस्थानति ॥ शकुनीको स्थान और पक्षीनको निवास जामें वो वृक्ष और और पूजनको वृक्ष इन तीनोंनमेंसे एककुंभी प्रदक्षिण होयकरके वेष्टन करले तो पिंगल पुरुषकू शीघ्रही शुभकरै ॥ १३४ ॥ वाम इति ॥ जो पिंगल वामभागमें दीखै तो अपनो पक्ष कहै. और पूछवेवारेको कार्य होय तो पूछबेवारकू फल होय, और दक्षिणभागमें दीखै तो अन्यको पक्ष जाननो. और पूछो हुयो कार्य होय तोभी अन्यको कहेहै ॥ १३५ ॥ मध्ये इति ॥ मध्यमें पिंगलको घूसूआ होय और महान् ऊंची शाखा होय तामें शुभशब्द करतो होय तो पिंगल शुभदेवे और वृक्षके अंतमें अचल नाचेकं झुकी होय अति छो. Aho ! Shrutgyanam
SR No.034213
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandra Gani
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1828
Total Pages606
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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