________________
( ५४ )
उदय होते हुए सूर्य की देखते हैं। ऐसे ही पश्चिम महाविदेह में तीन मुहूर्त दिन शेष रहने पर ऐरावत क्षेत्र के मनुष्य उदय होते हुए सूर्य को देखते हैं । ऐरावत क्षेत्र में भी तीन मुहूर्त दिन शेष रहने पर पूर्व विदेह के मनुष्य उदय होते हुए सूर्य को देखते हैं । इसलिये समस्त क्षेत्रों में समान प्रमाण वाले ही दिन होते हैं। इस प्रकार जम्बू द्वीप में शीतकाल में जब सर्वोत्कृष्ट अठारह मुहूर्त की रात होती है, तब भरतादि अन्य क्षेत्रों में रात्रि के तीन मुहूर्त व्यतीत हो जाने पर महाविदेहादि क्षेत्रों में सूर्योदय होता है तथा वैसे ही रात्रि के तीन मुहूर्त शेष रहने पर सूर्यास्त होता है। इस प्रकार सर्वत्र रात्रि समान प्रमाण वाली होती है। इस दृष्टि से ग्रीष्म ऋतु में सर्वोत्कृष्ट दिन में सूर्य के सर्वाभ्यन्तर मण्डल में होने से आदि में तीन एवं अन्त में तीन इस प्रकार कुल छ: मुहर्त में समस्त क्षेत्रों में दिन होता है और शीतकालीन सर्वोत्कृष्ट रात्रि में सूर्य सर्वंबाह्यमण्डल में होने से आद्यन्त छ मुहूर्त में सर्वत्र रात्रि होती है। इसमें किसी भी प्रकार का विरोध नहीं है, जैसा कि पागम में कहा है :
पुध विदेहे सेसे मुहुत्ततिगे वाससे निरक्खंति । भरहनरा उदयंतं सूरं कक्कस्स पढमदिने ॥१॥ भरहे वि मुहुत्त तिगे सेसे पच्छिम विदेह मणुआ वि । एरवए विश्र एवं तेण दिणं सव्वो तुल्लं ॥२॥
Aho! Shrutgyanam