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________________ मध्यप्रदेशका हिन्दू पुरातत्व ३५६ बिखरे पड़े हैं। किंवदन्ती है कि माधवानल उच्चकोटिका गायक था । कामकन्दला नामक वारांगनासे विवाह कर पुष्पावती में रहने लगा था । उसने अपने लिए जो महल बनवाया था, उसका नाम कामकन्दलासे जोड़ दिया । स्थानभेद एवं कुछ परिवर्तन के साथ यह लोक कथा पश्चिम भारत में १७ शतीतक काफी प्रसिद्ध रही । जैनकवियोंने भी इस शृंगारिक लोक-कथाको अपने ढंग से लिपिबद्ध किया । माधवानल कामकन्दला एक भारतीय लोककथा है । इसका प्रचार प्रायः सर्वत्र — कुछ परिवर्तन के साथ पाया जाता है । इस प्रणय कहानीपर प्रायः प्रत्येक प्रान्तवालोंने कुछ न कुछ लिखा है । उपलब्ध आख्यानकोंमें कुछ एकका उल्लेख यहाँ अपेक्षित है । वाचक कुशललाभकी माधवानल कथा ( रचनाकाल वि० सं० १६७७ फा० कृ० १३ रविवार, जैसलमेर,) और एक अज्ञात कविकी मनोहर माधवविलास-माधवानल ( लेखनकाल सं० १६८६ का० पूर्णिमा) के अतिरिक्त हिन्दी भाषा में भी आख्यानक उपलब्ध हुए हैं । 9 इन सभी में माधवानलका निवासस्थान पुहपावती-पुष्पावती बताया है । परन्तु वाचक कुशललाभको छोड़कर किसीने उसकी भौगोलिक स्थितिका स्पष्ट निर्देश नहीं किया । वाचकवर्य्य सूचित करते हैं देश पूरव देश पूरव गंगनइ कंठि तिहाँ नगरी पुहपावती राज करइ हरिवंस मंडण तसु घरि प्रोहित तास सुत, माधवानल नाम बंभण कामकन्दला तसु घरणि सीलवंत सुपवित्त विबुधभोग जिम विलसिया, ते वर्णविसुं चरित्र 'आनन्द - काव्य-महोदधि, गुच्छक सप्तम में प्रकाशित, जैन गुर्जर कविओ भा० ३, खं० १, पृ० १०३८, "हिन्दुस्तानी, भा० १६, अं० ४, पृ० २७१-२८०, Aho ! Shrutgyanam
SR No.034202
Book TitleKhandaharo Ka Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1959
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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