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- २८ - मध्यप्रांतमें एक नहीं पर दर्जनों ऐसे खण्डहर विद्यमान हैं व उनमें ऐसी-ऐसी कला संपन्न सामग्री सुरक्षित है जहाँ पुरातत्त्वविभागके उच्च वेतनभोगी कर्मचारी नहीं पहुँच सके हैं । ऐसी स्थितिमें उनकी रक्षाका उल्लेख ही व्यर्थ है। स्वतंत्र भारतकी सरकार क्या इन अवशेषोंकी रक्षाके लिए सक्षम नहीं है ?
मध्यप्रदेश _ मैंने अनुभव किया कि जिस अवशेषोंको, जिन खंडहरोंमें प्रथम यात्रा में मैंने देखा था वे दूसरी यात्रामें दृष्टिगोचर नहीं हुए। इनमेंसे कुछ-एक जनता द्वारा नष्ट कर दिये गये, एवं कथित कलाप्रेमी ग्रामीणोंकी आँखें बचाकर उठा ले आये और कभी-कभी सरकारी अफसर मन-पसन्द कलाकृतियाँ अपने ड्राइंग रूमको सजानेके लिए उठा ले आये। जनरल कनिंघमने बहुतसे ऐसे अवशेषोंका वर्णन अपनी रिपोर्ट में किया है जिनका पता डाक्टर हीरालालको न लग सका और डा. हीरालाल व श्री राखालदास बनर्जीने जिन मूल्यवान कलात्मक प्रतिमाओंकी चर्चा अपने ग्रंथोंमें की हैं, उनमें से बहुसंख्यक मूर्तियाँ सूचित स्थानोंपर मुझे दृष्टिगोचर नहीं हुई, संभव है जिन कृतियोंका उल्लेख मैंने अपने 'खण्डहरोंके वैभव' में किया है वे भी शायद कुछ वर्षों के बाद न रहें इसमें कुछ आश्चर्य नहीं है । उपेक्षा ____ जो मूल्यवान साधन नष्ट हो गये हैं, गिट्टी बन सड़कोंपर बिछ गये; मकानोंकी नीवोंमें भर गये, उनकी चर्चा अब व्यर्थ है । यदि विगत अनुभवसे प्रान्तीय कलाकार व शासनने लाभ नहीं उठाया तो अवशिष्ट सामग्रीसे भी वंचित रहना पड़ेगा। पुरातन वस्तु या पुरातन प्रतिमाओंको नष्ट करनेके सैकड़ों प्रयोगोंमेंसे एकके उल्लेखका लोभ संवरण नहीं कर सकता। दक्षिणकोसलमें आदिवासियोंमें मोहिनीकी पुड़िया खूब प्रसिद्ध है। इसे बेंगा
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