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मध्यप्रदेशका हिन्दू - पुरातत्त्व
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स्पष्ट करनेवाली प्रतिमाएँ भी हैं, पर उनमें अश्लीलताका अभाव नहीं है।
प्रत्येक योगिनीका मूर्तिपर नामोल्लेख इस प्रकार है- (१) छत्रसंवरा, (२) अजीत (३) चंडिका ( ४ ) आवन्य ( ५ ) ऐंगिनी ( ६ ) ब्रह्माणी ( ७ ) माहेश्वरी (८) रकारी ( ६ ) जयंती (१०) पद्महस्ता (११) हंसिनी १२, १३, १४ ज्ञात नहीं । ( १५ ) ईश्वरी (१६) इन्द्रजाली (१७) राहनी १८, १९, २० पढ़ा नहीं जाता । (२१) ऍंगनी (२२) उत्ताला (२३) नालिनी (२४) लम्पटा (२५) ददुरी (२६) झयामाला (२७) गांधारी (२८) जाह्नवी (२६) डाकिनी (३०) बांधिनी (३१) दर्पहारी (३२) नाम स्पष्ट नहीं है । ( ३३ ) लंकिनी (३४) जहा (३५) घंटाली ( ३६ ) शाकिनी (३७) ठड्डरी (३८) अज्ञात ( ३६ ) वैष्णवी (४०) भीषणी (४१) शवरा (४२) छत्रधारिणी (४३) खंडिता (४४) फणेन्द्री (४५) वीरेन्द्री (४६) डकिनी (४७) सिंहसिंहा (४८) झाषिनी (४६) कामदा (५०) रणजिरा (५१) अन्तकारी (५२) अज्ञात (५३) एकदा (५४) नंदिनी (५५) बीभत्सा (५६) वाराही (५७) मन्दोदरी (५८) सर्वतोमुखी (५६) थिरचित्ता (६०) खेमुखी (६१) जांबवती (६२) अस्पष्ट (६३) आँतारा (६४) अस्पष्ट (६५) यमुना (६६-६७) अस्पष्ट (६८) पांडवी (६६) नीलांबरा ( ७० ) अज्ञात (७१) तेरमवा ( ७२ ) पंडिनी (७३) पिंगला (७४) अहरवला (७५-७६) अस्पष्ट (७७) जठरवा (७८) अज्ञात (७६) रिधवादेवी |
कालिकापुराण और दुर्गापूजा पद्धतिमें जो चौंसठ योगिनियों के नाम लिखे हैं, वे पाँच-छः नामोंको छोड़ इनसे मिलान नहीं खाते, परन्तु का० और दु० पू० के नाम भी मिलान नहीं खाते, केवल २४ मिलते हैं' ।
पु०
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रायबहादुर हीरालाल - जबलपुर ज्योति, पृ० १६३-४ ।
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