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________________ १० रवि साभ मंगल बुध गुरु शुक्र शनि : ... ज्योतिषसार: 1 शुभ चौघडिया यंत्र ધ્ર : .... . उत्तम ८ 991 " " " कालहोरा कहते है होराइ रवि उद्देगं, सोम अमी भूम रोग बुध लाई । गुरु सुभ भिगु चलयं, थावर कल होइ दिण उग्गे ॥ ३० ॥ निसि सूर सुभो चल सिसि, कुज कलहि बुध उद्देग गुरु अमियं । भिगु रोग लाभ थावर, रयण पणं गिणे दिणे छट्ठ ॥ ३१ ॥ भावार्थ- सूर्योदयसे सात बार की आद्य होरा - रविवार को उद्वेग, सोमवार को अमृत, मंगलवार को रोग, बुध वारको लाभ गुरुवार को शुभ, शुक्रवारको चल और शनिवारको कलह, होरा है ॥ रातकी शरुआतसे आद्य होरा-रविवार को शुभ, सोमवार को चल, मंगलवारको कलह, बुधवारको उद्वेग, गुरुवार को अमृत शुक्रवार को रोग और शनिवारको लाभ, होरा है | ये अढाई अढाई घडीकी एक एक होरा होती है, उसमें आद्य होरा अपने अपने वारकी होती है । दिनमें जो वार हो उसकी ही आद्य होरा
SR No.034201
Book TitleJyotishsara Prakrit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1923
Total Pages98
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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