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________________ ज्योतिषसारः । और बारस भद्रातिथि है, तीज आठम और तेरस जया तिथि है, चौथ नवम और चौदश रिक्ता तिथि है, पांचम दशम और पूनम पूर्णातिथि है । ये पांच तिथि के नाम हैं इसका शुभाशुभ विचार करना, तिथि शुद्ध होने से बाकी सर्व शुद्ध होते हैं ऐसे विद्वान ज्योतिषी कहते हैं ।। १०-११ ॥ सब शुभकार्य में वर्जनीय तिथि रित्ता छट्ठि अमावस, अट्ठमि बारसि य दद्ध कुराए । तिय वार फरस तिहि, ते सव्वे वज्जिय सुहकम्मे ॥ १२ ॥ भावार्थ - रिक्ता तिथि ( ४ ६-१४ ), छठ, अमावास्या, आ. उम, बारस, दग्धातिथि, क्रूरतिथि और तीन वार स्पर्शी तिथि ये सभी शुभकार्यों में वर्जनीय हैं ॥ १२ ॥ रविदग्धा तिथि— 1 बीयाइ मीन धण रवि, चउत्थी तिहि भाणु वसह कुंभाए । छुट्टी य मेस करकं, अट्ठमि कन्नाइ मिहु हि ॥ १३ ॥ दसमीइ विच्छि सिंहो, बारसि अरके य तुले मकरे ये रवि दद्धा तिहि एए, वज्जेयं सव्व सुह कज्जायं ॥ १४ ॥ भावार्थ-- धन और मीन का सूर्य्य हो तो दूज, वृष और कुंभ का रवि हो तो चौथ, मेष और कर्क का रवि हो तो छट्ठ, कन्या ओर मिथुन का रवि हो तो आठम, सिंह और वृश्चिक का रवि हो तो दशम, तुला और मकर का रवि हो तो बारस, इन छ तिथि को रविदग्धा तिथि कहते हैं ये सभी शुभकार्यों में वर्जनीय हैं ॥ १३ = १४ ॥
SR No.034201
Book TitleJyotishsara Prakrit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1923
Total Pages98
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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