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हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी. ।
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३) नाग--सर्प (सांप ) द्विरद (हाथी), मेष ( मिंढा, ) सीक्षक (सीता) नागकेसर, नागवल्ली ( नागरवेल ) और नागदन्ती.
( ४ ) रस-मांस: द्रव, इक्षुरस ( ईखका रस ), पारद ( पारा ), मधुरादि ( मधुर आदि छः रस ), बालरोग ( बचोका एक रोग ) विष. और नीर ( जल ).
इति श्रीवैद्यरत्न पण्डित गमप्रसादात्मजविद्यालंकार - शिवशवैद्यकृत- शिवप्रकाशिकाभाषायां न स्यादिनि अनेकार्थवर्गः समाप्तः ।
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