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दंदन और राहांगी, निकुंभ, वरपणी, परंडा
हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (१२३) द्रवंती शंबरी चित्रा प्रत्यक्पाखुपय॑पि ॥१९८॥ चित्रोपचित्रा न्यग्रोधी सुतश्रेणी तथा वृषा। दंतीद्वयं सरं पाके रसे च कटु दीपनम् ॥ १९९ ॥ गुदांकुराश्मशूलाश कंडुकुष्ठविदाहनुत । तीक्ष्णोष्णं हंतिपित्तास्त्रकफशोथोदरक्रिमीन॥२०॥ लवी, दन्ती, विशल्या, उदुम्बरपर्णी, एरंडफला, शीघ्रा, श्येनघण्टा, गुणप्रिया, वाराहांगी, निकुंभ, मुकूलक यह लघुदन्तीके नाम हैं। इसको दंदन और तिरीफल भी कहते हैं। अंग्रेजी में इसे Croton Seed और फारसीमें बंद कहते हैं।
द्रवन्ती, शंधरी, चित्रा, प्रत्यकपर्णी, आखुपर्णी, चित्रोपचित्रा, न्यग्रोधी, सुतश्रणी और वृषा यह बडी दन्ती के नाम हैं। इसे फारसीमें शकारहुजुर और अंग्रेजीमें Physician nnt कहते हैं। दोनों प्रकारकी दन्ती-दस्वावर, पाक और रसमें कटु तथा दीपन है । बवासीर, पथरी, शूल, गुदाकी खुजली, कुष्ठ और दाहको नष्ट करनेवाली है। तीक्षण और उष्ण है। पित्त, रक्त, कफ, सूजन, उदररोग और कृमियोंको दूर करती है ॥ १९७-२००॥
.. लघुदन्तीफलं बृहदंतीफलम् । क्षुद्रदन्तीफलं तु स्यान्मधुरं रसपाकयोः । शीतलं सृष्टविण्मूत्रं गरशोथकफापहम् ॥ २०१॥ जयपालो दंतिबीजं विख्यातं तितिणीफलम् । जयपालो गुरुः स्निग्धो रेचनः कफपित्तहा॥२०२॥ छोटी दन्तीके फल-पाक और रसमें मधुर हैं, शीतल, मलमूत्रको निकालनेवाले हैं । विषविकार, सूजन पौर कफको हरनेवाले हैं। बढी दन्तीके फल-जयपाल, दन्तीबीज, तितणीफल और जमानगोटेके नामसे प्रसिद्ध हैं। जमालगोटा-भारी, चिकना, तीक्ष्ण, विरेचनकता पित्त और कफको हरनेवाला है । २०१॥ ३०॥