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भावप्रकाश निघण्टुः भा. टी. ।
चन्द्रहासा वयस्या च मंडली देवनिर्मिता । गुडूची कटुका तिक्ता स्वादुपाका रसायनी ॥ ८ ॥ संग्रहणी कषायोष्णा लघ्वी बल्याग्निदीपनी । दोषत्रयामतृड्रदाह मेहकासांच पांडुताम् ॥ ९ ॥ कामला कुष्ठवातास्रज्वरकिमिवमीर्हरेत् ।
गिलोय, गुडूची, मधुपर्णी, अमृत, अमृतवल्लरी, छिन्ना, छिन्नरुहा छिन्नोद्भवा, वत्सादिनी, तंत्रिका, सोमा, सोमवल्ली, कुण्डली, चक्रलक्षणिका, धारा, विशरया, रसायनी, चन्द्रद्दाला वयस्था, मण्डली, देवनिमिता यह गुडूवी के संस्कृत नाम हैं। इसे हिन्दी में गिलो, फारसी में गिलोय और अंग्रेजी में Coculs corbi कहते हैं ।
गिलोय - कडु, तिक्त, पाक में मधुर, प्रायुवर्धक ग्राही, कैली, गरम, इलेकी, बलकारक, अग्निदीपक तथा त्रिदोष याम, प्यास, दाङ, प्रमेह कास, पाण्डुता, कामला, कुष्ठ, वायु, रक्तविकार, ज्वर, कृमि तथा को हरनेवाली है ॥ ६-९ ॥
१० ॥
तांबूलम् | तांबूलवली तांबूली नागिनी नागवल्लरी ॥ तांबूलं विशदं रुच्यं तीक्ष्णोष्णं तुवरं सरम् । वश्यं तिक्तं कटु क्षारं रक्तपित्तकरं लघु ॥ ११ ॥ श्लेष्मास्यदोर्गध्यमलवातश्रमापहम् ।
बल्यं
ताम्बूलवल्ली, ताम्बूली, नागिनी तथा नागवल्लरी यह ताम्बूलके नाम है । इसको हिन्दी में पान, फारसीमें तबोल और अंग्रेजीमें Betel leaf कहते हैं ।
ताम्बूल - विशद, रुचिकारक, तीक्ष्ण, उष्ण, कसैला, दस्तावर, वशकारक, तिक्त, कटु, खारा, रक्तपित्तकर, हलका, बलवर्धक तथा कफ सुखकी दुर्गन्ध, मल, वात और श्रमको हरनेवाला है ॥ १० ॥ ११ ॥