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________________ [ ७५ ] मे जैनसाहित्यके अंगभूत जैन इतिहासका प्रचार नही हो । यहां प्रसंगसे जैन जैतिहासिक ग्रंथोका परिचय करा देना उचित समझकर थोडोसे कथा ग्रंथोके नाम लिखे जाते हैं । वाचक महाशय उन्हे पढकर जरूर फायदा उठायेंगे । J (१) त्रिषष्टि शलाका पुरुषचरित्र - इस के कर्त्ता आचार्य श्री हेमचंद्रसूरि है आपका जन्म विक्रम सं. ११४५ - निर्वाण १२३० । (२) दयाश्रयकाव्य - ( प्राकृत ) कलिकाल सर्वज्ञ श्रीमान् हेमचन्द्राचार्यने विक्रम सं. १२०० के क to इसकी रचना की है. (३) द्वयाश्रयकाव्य (संस्कृत) उन्ही कलिकाल सर्वज्ञ श्रीमान् हेमचन्द्राचार्य की यह रचना है । इसकी रचना वि सं. १२१७ के आसपास हुई है (४) परिशिष्ट पर्व - यह कृति भी उपर्युक्त श्रीमान् हेमचन्द्राचार्यजीकही है. (५) की र्तिकौमुदी - इस काव्यका रचयिता सोमे Aho ! Shrutgyanam
SR No.034195
Book TitleGirnar Galp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherHansvijay Free Jain Library
Publication Year1921
Total Pages154
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size5 MB
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