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[ ३४ ] सुकृतसंकीर्त्तनकाव्य । इन ग्रंथो में महामात्यके किये धार्मिक - नैतिक-स्वकल्याण - परकल्याण के कार्योंका सविस्तर वर्णन है.
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महा अमात्य - वस्तुपाल तेजपाल के किये शुभ कार्योंका संक्षिप्त वर्णन.
(१३१३) नवीन जिन मंदिर कराये । (३३००) जिन चैत्यों का जीर्णोद्धार कराया । (३२०० ) जैनेतर मंदिर बनवाये ।
( ५५० ) ब्रह्मशाला |
( ५०१ ) तपस्वि लोगोकी जगह तयार कराई । (५००) दान शालायें कराई ।
(९०४) धर्मशाला ( उपाश्रय ) बनवाये ।
(३०) कोट तयार कराये ।
(८४) सरोवर खोदाये ।
(४६४) वापी - बोली |
(१००) जैन सिद्धान्तो के भंडार किये ।
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