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अभिनंदनरवामी ४ श्री सुमतिनाथ ५ श्री पद्मप्रभ स्वामी ६ श्री सुपार्श्वनाथ ७ श्री चंद्रप्रभस्वामी ८ श्री सुविधिनाथ ९ श्रीशीतलनाथ १० श्रीश्रेयांसनाग ११ श्री वासुपूज्यस्वामी १२ श्रीविमलनाथ १३ श्री अनंतनाथ १४ श्रीधर्मनाथ १५ श्रीशांतिनाथ १६ श्री कुन्थुनाथ १७ श्री अरनाथ १८ श्री मल्लीनाथ १९ श्रीमुनिसुव्रतस्वामी २० श्री नमिनाथ २१ श्री नेमिनाथ २२ श्रीपार्श्वनाथ २३ श्री महावीस्वामी २४ येह चौवीस तीर्थकर महाराज हुए हैं। इन महापभावशाली तीर्थकर देवोंकी पांच अवस्थाओंका नाम "कल्याणक" है. च्यवनकल्याणक । जन्मकल्याणक । दीक्षा कल्याणक । केवलज्ञान कल्याणक।
और निर्वाण कल्याणक । किसी तीर्थकर देवका कोइ कल्याणक कहीं होता है और कोई कहीं होताहै। जहां जहां उन परमेश्वरोंके कल्याणक होते हैं उन क्षेत्रोंका-कल्याणोंके योगसे कल्याणक भूमि नाम प्रख्यात हो जाता है । वर्तमान चौवीसीके बावीसवें तीर्थकर श्री नेमिनाथजीके दीक्षा, केबल और निर्वाण येह तीन कल्याणक " श्री गिरनार "
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