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( ४ ) अने हेमचंद ने परण्ये १ वर्ष थयुं हतुं मणीलालने बीजा विवाहनी बात चालती हती परन्तु मगनभाइनो विचार ए हतो के पुत्रोने चारित्र अपात्री मारे पण चारित्र लेवं. जेथी बीजीवार विवाह स्वीकार्यो नहि.
पूर्व भवना पूण्यथी बन्ने पुत्रो ज्ञानाभ्यास सहित वैराग्यवृत्तिवाला पण थया. जेथी पिताए बने पुत्रनो चारित्र उपर प्रेम थयो जाणी अमदावाद पासे कासंद्रा गाममां मुनिमहाराजश्री नीतिविजयजी पासे मोकल्या. तेमां मणिलाल पुख्तवयना अने विधुर होवाथी मणिलाटने दीक्षा आपो, अने हेमचंद तुरत परणेला अने काची वयना होवाथी तेमने दीक्षा लेवा माटे काळ विलंबनी सूचना करी. मणिलाल नुं नाम श्री मणिविजयजी पाडयुं के जेमनुं आ चरित्र लखवा हुं भाग्यशाळी थयो छं.
मणिलालनी दीक्षा लीधानी वात सांभळी माता जमनाबाईने पुत्रपणाना स्नेहथी दीलगीरी थाय ए स्वाभाविक छे, परन्तु हेमचंदे दीक्षा नहि लीधेली होवाथी अने पोताना पतिए पवित्र बोध आप्याथी पुनः चित्त विश्रान्ति प्राप्त थइ श्रीमणिविजयजी महा
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