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अथवा
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द्रव्यपरीक्षा
राम कर भाय सुलभं तारं मुणि सत्त भाग यह कढियं । एयं सयंस रीसं सुवन्न वन्नस्स हरण वरं ||३६|| सेयालीस विभायं धुर कणय करवि एग एगुणं । तत्तुल्लि दिज्ज रीसं कमेण पाऊण हुई वन्नं ॥ ७ ॥ इति कनक वनमालिका ।।
जवि सोलसेहि मासउ बहु मामिहि टंकु तोलविणो । सोलह जवेहि बनी वारहि वन्नो महाकण ||३६||
नी तुल्लेण हयं भित्ति सुवन्नस्स अग्घ सह गुणियं । वारस भागे पत्तं जहिच्छमाणस्स तं मुल्ल ।। ३९ ।। नाणा वनी कणओ नाणा तुल्लेण जाम गालिज्जा । केरिस बन्नी जायद अह एरिस वन्नि कि तुल्लो ||४०||
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३६. तेईस भाग ताँबा (मुलभ शुल्य) सतहत्तर भाग तार (स्वर्ण) के साथ गलाया जाय यह सौ भाग सोने का बान करने के लिए उत्तम रोसक मिलावट के लिए है ।
३७. बारहवानी सोना पादोन विधि से – १२ माशे धुर सोना लेकर उसके ४७ भाग शुद्ध सोना [धुर कणय, ध्रुव कनक, अक्षय स्वर्ग, तिरूपक्षय (see मानसोल्लास ) शुद्ध हारिक (कौटिल्य)] में एक-एक भाग मिनाते जो तो क्रमशः पादोन ( एक-एक पाद कप ) बान का सोना बनता जायगा ।
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एक तोले ध्रुव सुवर्ण (खरा सोना मिति कनक अजय सुवर्ण के ४७ भाग करके १-१ भाग कम करते जाइए और उतना ही राम मिलाते जाइए तो पादोनक्रम से दान बन जाएंगे । ४८ भाग बारहृवानी सोना ४७ भाग सोना + १ रोस सोना+२ रोस = ११३ वान, ४५ भाग सोना + ३ रीस = ११३ वान, ४४ सोना+४ रीस = १२ वान, २४ सोना+२४ रीस = ६ वान, १० सोना + ३८ रीस = २३ वान | सोने की वनमालिका समाप्त हुई ।
११३ वान, ४६ भाग
३८. सोलह जौ का मासा, चार मासा का टंक और तीन टंक का एक तोला होता है। सोलह जी की एक बनो और बारह वानो का महाकनक होता है ।
३९. वत्री को सोना में से घटा के मिति कनक के मूल्य को गुणा करके बारह का भाग देने से यथेच्छ प्रमाण उसका मूल्य निकलेगा ।
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४०.
अलग अलग वान का सोना भिन्न भिन्न तोल का जब एकत्र कर गाला जाय तो कितनी वान का होगा या किस वान का बनने से उसका क्या तौल होगा ?
+ यह गाया गणितसार में भी गाथा नं० १० है । गणितसार में और भी सब प्रकार के माप दिए हैं।
रीस के लिए एक कौटिल्य की विधि दूसरी ट० फेरुकी और तीसरी आइन-एअकबरी में अबुलफजल की है।
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