SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाइअ तपोविषये अघटकथानकम्। संगहे। का ॥३२॥ SHASHIONS दिनो जहजोग्गं तस्स अहिगारो।। ८३ ॥ अह सुघडियनरनाहो कुडिलमणो चिंतए नियमणमि । कहमेसो इणियवो अघडो सुघडियसुकयपुंजो।। ८४ ॥ अहवा अस्थि उवाओ विक्रमसिंहस्स भइणिजुत्तस्स । जियसत्तुविम्गहत्थं गयस्स पेसेमि तत्थ इमं ॥ ८५ ।। इय चिंतिऊण लिहिअं जुयलं लेहाण तेण सयमेव । विक्कमसिंहसुयस्स य एगो एगो य अघडस्स ॥ ८६ ॥ एयं लेहाण जुयं अघडकुमारस्स सिग्घमप्पेसु । इय भणिय लेहहारो विसजिओ ज्झत्ति महुराए ॥ ८७ ॥ गंतूण तेण सिग्धं समप्पियं तस्स लेहजुयलं तं । नियनामंकियमेगं दट्टणं वायए अघडो ॥८८॥ उजेणीए विक्रमसिंहस्स गयस्स सत्तुजिणणत्थं । दुइ लेहं गिव्हिा गंतवं तत्थ तुमए वि ॥ ८९ ॥ तकालं तं लेहें गिहिय चउरंगविउलदलकलिओ। संपत्तो सो कमसो रयणीए कुमरकडयंमि ॥ ९० ॥ जक्खो वि तंमि समए संपत्तो तत्थ अघडपुण्णेण । लेहत्थो नाणेणं जहडिओ तेणिमो नाओ ॥९१ ॥ विक्कमसिंह ! तुम खलु देसु विसं ज्झत्ति अघडकुमरस्स । एयाणमक्खराणं ठाणे जक्खो लिहा एवं ॥९२ ॥ कुमरीए रयणसुंदरिनामाए तह प अघडकुमरस्स । कारेयवं सिग्धं पाणिग्गहणं तए वच्छ ! ॥९३॥ सुरसत्तीए लिहिलं जक्खो वि गओ पभायसमयंमि । मिलिऊणं अघडेणं कुमरस्स समप्पिओ लेहो ॥ ९४ ॥ वाएइ तओ कुमरो मुणिऊणं मणइ जोइसियं । कुमरीए अघडस्स य विवाहलग्गं कहसु सिग्धं ॥ ९५ ॥ जोइसिओ तं पभणइ सुसाइ अजेब अहव परिसदुगे । कुमरो चिंतइ ताएण पेसिओ तेण इह एसो ॥ ९६ ॥ संखेवेणं जाओ तम्मि दिणे ताण दुह वि विवाहो । एवं बहमवि मुणिउं सुघडियराया वि चिंतेह ॥ ९७ ॥ सच्चं चिय मणइ जणो जं कुणइ विही हवेह तं चेष । जं न पडा कायाविहुतं घडियं तेण अपडस्स ॥ ९८॥ बह रचिजागराओ जायाइ विसइयाइ वियणत्तो। पंचत्तं संपचो विकमसिंहो बिहिवसेण ॥१९॥ CARRAR
SR No.034180
Book TitlePaiakaha Sangaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay, Kantivijay
PublisherVijaydansuri Jain Granthmala
Publication Year1952
Total Pages98
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy