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पाइअ
सम्पादकीय वक्तव्य
कहासंगहे।
अक्षरो कपाई गयेला छे त्यां अमे नवा मूकेला अक्षरो[ ] आवा कौंसमा मूक्या छे, अने जे अक्षरो अमारा ख्यालमां आवी शक्या नथी त्यां तेटला अक्षरोनी आ प्रमाणे+++++ जग्या खाली राखी छे. ज्यां कोई पाठ अशुद्ध लाग्यो छे त्यां ( ) आवा कॉसमां अमने शुद्ध जणायेलो पाठ मूक्यो छे. ज्यां कोई नवो अक्षर वधारवानी जरुर लागी छे त्यां [ ] आवा कौंसमां तेटला अक्षरो मूक्या छे, अने व्यां अमने अर्थनो ख्याल नथी आव्यो त्यां (?) आq चिह कयु छे. कथाओनो क्रम जे विक्रमसेन चरित्रमा छे ते द्वादश कथानी प्रतिमा नथी, ज्यारे आ प्रन्थमा बन्नेथी भिन्नक्रमे कथाओ गोठववामां आवी छे जे अनुक्रमणिका उपरथी जोई शकाशे.
प्रान्ते जणाववानुं के शक्य काळजी राखवा छतां चक्षुदोषथी, मतिमान्द्यथी के प्रेसदोषथी जे कोई अशुद्धिओ रही गयेली छे तेनुं शुद्धिपत्रक ा साथे दाखल करवामां आव्यु छे, छतां ते उपरांत कोई अशुद्धि जणाय तो तेने क्षम्य गणी विद्वानो सुधारीने वांचशे अने अमने जणावशे एवी अमारी नम्र विज्ञप्ति छे.
मानविजय तथा कान्तिविजय.