________________
CA
IRI
सम्पाद कीयवक्तव्य।
%
%
३ ग० प्रतिनो तत्रत्य नं. ७३७९ छे, अने तेना पत्रो ७ छे. आ प्रति २०मी सदीमा लखायेली छे, अने तेमां नमस्कार-IPI शुद्धिनुं धोरण जोइए तेवु सचवायु नथी. माहात्म्ये । ४१. संज्ञासूचित प्रति अमदावादना डहेलाना उपाश्रयनी छे, अने तेना पत्र ५ छे. आ प्रति कममा कम ३००
वर्ष पहेलानी हशे. शुद्धिन धोरण आ प्रतिमां जोइए तेवु सचवायु नथी, छतां य कोई कोई स्थळे अन्य प्रतिस्थ अशुद्ध. | पाठना परिमार्जनमां आ प्रति मार्गदर्शिका बनी छे.
५हि संज्ञासूचित प्रति हीरालाल हंसराजद्वारा मुद्रित ययेल प्रति छे. एमां अनेक स्थळे अशुद्धिओ रही गयेली छे. आथी जे स्थलोए चारे हस्तलिखित प्रतिओधी तेना पाठो विरुद्ध जणावा साथे असङ्गत जणाया छे, तेने पाठान्तर तरीके पण नोंध्या नथी..
ग्रन्थ-परिचय-आ प्रन्थना श्लोक २१८ छे, अने तेना आठ प्रकाश पाडवामां आवेला छे. प्रथमना पांच प्रकाशमा क्रमशः १ अरिहंत, २ सिद्ध, ३ आचार्य, ४ उपाध्याय अने ५ साधु ए पांच परमेष्ठिर्नु वर्णन नवकारना पदोना प्रत्येक अक्षरने अनुलक्षीने खूबज आकर्षक रीते करवामां आव्युं छे. छट्ठा प्रकाशमां नवकारनी चूलिकाना चार पदनु रोचकशैलिथी विस्तृत वर्णन करवामां आव्युं छे. सातमा प्रकाशमा चार निक्षेपामा रहेला सर्वक्षेत्र अने सर्वकालना अरिहंतोना शरणनी प्रार्थना करी, अरिहंतनी वाणी अने मूर्तिनो लाभ नहि लेनाराने चोंकावनारी पण प्रेमभरी सूचना द्वारा उपालम्भ आपी अनेक दृष्टान्तो रजू करी कर्ताए अरिहंत परमात्मा उपरनी भक्तिनी रेलमछेल करी दीधी छे.
%
%
%