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श्री
नमस्कारमाहात्म्ये
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सम्पादकीय - वक्तव्य ।
श्रीनमस्कार माहात्म्य ग्रन्थ के जेनुं मुद्रण अगाउ एक वार वि. सं. १९६८मां पंडित हीरालाल हंसराज तरफथी थई गयेल छे, तेनुं ज पुनर्मुद्रण श्रीकेसरबाई ज्ञानमन्दिरना संस्थापक संघवी नगीनदास करमचंद तरफथी मुनिराज श्रीभद्रङ्करविजयजी म.ना सदुपदेशथी कराववामां आव्युं छे.
प्रतिओनो परिचय - आ ग्रन्थना सम्पादनमां चार हस्तलिखित प्रतिओनो उपयोग कर्यो छे भने मुद्रित प्रतिनो प्रेस कॉपी तरीके उपयोग कर्यो छे.
१-२-३ क० ख० ग० संज्ञासूचित त्रण प्रतिओ पाटणस्थ श्रीहेमचन्द्राचार्य ज्ञानमन्दिरनी छे.
१ क० प्रतिनो तत्रत्य नं. ४९०० छे, अने तेना पत्रो ५ छे. आ प्रति पंदरमी सदीमां लखायेली हशे. शुद्धतानी दृष्टिए आ प्रति वधु उपयोगी नीवडी छे. आथी मुख्य आधार तेनो ज राख्यो छे. आम छतां य जे स्थलोए आ प्रतिस्थ पाठ सर्वथा अशुद्ध जणायो छे त्यां शुद्ध जणायेली अन्य प्रतिना- पाठने मुख्य स्थान आप्युं छे, अने आ प्रति प्राचीन होवाना कारणे अशुद्ध जणाता एवा पण तेना पाठने रद्द नहि करतां फुटनोटमां पाठान्तर तरीके मूकेल छे.
२ ख० प्रतिनो तत्रत्य नं. ५१८५ छे, अने तेना पत्रो १७ छे. आ प्रति १८मी सदीमां लखाएली इशे. शुद्धतानी दृष्टिए आ प्रति पण लगभग क० प्रति जेवी ज छे.
सम्पादकीयवक्तव्य ।
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