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पुत्व मकारिअ जोगो ॥ समाहि कामो अमरण कालंमि ॥
ननवइ परीसह सहो ॥ विसय सुह समुश्न अप्पा ॥७॥ पर संजमजोग पाळयो न होय, अने मरूणकाळने विषे समाधि इच्छतो होय ते विषयमुखमां लीन आत्मा परिसह सहन करवाने समर्थ न थाग ॥८७॥
पुचिं कारिअ जोगो ॥ समादि कामो अमरण कालंमि॥
संन्नवा परीसह सहो ॥ विसय सुह निवारिन अप्पा ॥॥ पर संजममोग पाळयो होय अने मरणना काले समाधिने इच्छतो होय एवो पुरुष विषयमुखयकी आसामी शके अने परिसहने सहन करवाने समर्थ थइ शके ॥ ८८ ॥
'पुष्विं कारिश्र जोगो । अनिबाणो ईहिकण मइ पुवं ॥
ताहे मलिश्र कसान॥ सऊो मरणं पमिडिता ॥ नए॥
जीग आराध्यो अने नियाणा रहित बुदिपूर्वक विचारीने अने ते वखते कषायने टाळीने सजगाने अंगीकार करे ॥ ८९ ॥
पावाणंपावाणं ॥ कम्माणं अप्पणो सकंमारणं ॥ सका पसाइ जे॥तबेण सम्म पत्तेणं ॥९॥
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