________________
जमाल ॥०॥ पापीने घरे गयो ततकाल, रुधिर पूर्यु ब्रह्मा कपाल ||मा०|| ११ || ईश्वरनी जमी लीधी हत्या, हाथ थकी तुंबकी पमी धरत्या ॥ मा० ॥ कपालीक शंकरनो नाम, लोक कहे जपो शिव ठाम ॥ मा०||१२|| वेद पुराण कथा वे एह, बाल गोपाल जाणे बे तेह ॥ मा० ॥ ब्रह्मानी सांजलजो वात, तप संजम कीधो बे घात ॥ मा० ॥ १३ ॥ छंबर गइ तिलो. त्तमा जाम, कामे पीड्यो ब्रह्मा ताम ॥ मा० ॥ विकल रूप दुवो बे अपार, भुवन नर्यु | देखे ते नार ॥ मा० ॥ १४ ॥ विह्वल थयो मलवाने धाय, नर नारी सदु नागं जाय ॥ मा० ॥ काड बीने सांइ देय, देवी जाणे तिलोत्तमा एय ॥ मा० ॥ १५ ॥ मृग पशु तणे धामे जाम, लंपट देखी नासे ताम ॥ मा० ॥ डमी एक मली वन मांय, लयबथ करीने तेहने साय ॥ मा० ॥ १६ ॥ रूप जाएयुं रंजानुं एह, वृद्ध ब्रह्माए जोगवी तेह ॥ मा०॥ रुतुवंती ते हुती ताम, जंबुवंत उपन्यो अजिराम ॥ मा० ॥ १७ ॥ बलवंत बुद्धि तणो निधान, प्रसिद्ध जाणे सहु वेद पुराण ॥ मा० ॥ रामचंद्र तणो दुवो ते छूत, जग विख्यात ब्रह्मनो सूत ॥ मा० ॥ १८ ॥ गरढानी करणी बे एद, किम उवीए पुत्री पासे | तेह || मा० ॥ सृष्टिकर्ता ब्रह्मा को सार, नीपाइ नहीं एके नार ॥ मा० ॥ १५ ॥ डमीशुं कीधो व्यजिचार, मुंरुपणुं एहने अपार ॥ मा० ॥ तापस श्रमे सहुको जाएं,