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मपरी
पुत्रनारे लाल, नय पाम्यो माधव ताम ॥ स० ॥ बोल बोले कुरंगी श्राकरारे लाल, लाखक मुख निहाले नारी तणुं श्राम ॥सण॥ सू०॥१३॥ कोहाड डसी दांत एम कहेरे लाल, शहां थकी जा जा धूतार ॥ स ॥ ठेक करवाने श्राव्यो श्हारे लाल, जणनारने जा घरबार ॥ स ॥ सू० ॥ १४ ॥ कोप नारोनो जाणी आवीयोरे लाख, सुंदरी घरे । ततकाल ॥ स ॥ मान दी, घणुं श्रावतारे लाल, सुंदरी मनमां उजमाल ॥ स॥ सू० ॥ १५ ॥ लेखे अवतार आज आवीयोरे लाल, स्नान करावे सुंदरी नार ॥ स॥ थाल मांड्यो जमवा जणीरे लाल, पासे कचोलांनी हार ॥ स ॥ सू० ॥ १६ ॥ पक्-II. वान्न पीरस्यां प्रेमे करीरे लाल, साल दाल घृत पूर ॥ स ॥ माधव महेतो मन चिंतवेरे लाल, कुरंगी रूपी दुःख नूर ॥ स ॥ सू० ॥ १७ ॥ मधुरी वाण सुंदरी करे लाल, जोजन नवी करो केम ॥ स ॥ तव माधव एम चरेरे लाल, नवि नावे अन्न मुज जेम ॥ स ॥सूारजा लघु जामनी शाक आणे शहारेलाल, तो अमृत लागे अन्न ॥ स ॥ तव सुंदरी लेवा गरे लाल, हाथ कचोलो लेश मन ॥ स || सू० ॥ १५ ॥ ढाल चोथी बीजा खंडनीरे लाल, रंगविजय कवि शिष्य ॥ सol नेमविजय कहे नित प्रतेरे लाल, प्रणति करुं निशदिश ॥ स ॥ सू ॥॥