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चर्मपरीसुणो ए, अव्य लइ पो मीन ॥सा॥ मनोवेग कहे परीक्षा करी ए, लेज प कहेशोखक
हीन ॥ सा ॥ २२ ॥ एक कहे साचुं सही ए, घट मांहीथी काढ्यो तेह सा॥ हिज - ३१T
सहुए मीनो नीरखी ए, बुचो रुधिर जर्यो देह ॥ सा ॥ ३ ॥ विप्र जणे सुण
hankar नीलमा ए, मीनमो बुचोसें कान ॥ सा ॥ रुधिरालो दीसे वली ए, कहो कारण गुणवान ॥ सा ॥ २४॥पहेली ढाल बीजा खंडनी ए, रंगविजय कविराय ॥सा॥ तस शिष्य नेमविजय कहे ए, वात सुणो चित्त लाय ॥ सा ॥२५॥
मुहा. मनोवेग कहे सांजलो, वनवासी अमे नील ॥ अपूरव दीगे मीनमो, लीधो जाणी गुण मील ॥१॥ पाली पोषी मोटो कर्यो, अव्य जोए ने आज ॥ घटमां घाली मीनमो, श्राव्या वेचवा काज ॥२॥ नूमि पणी चाली करी, श्राव्या वाडव गाम ॥ दिवस गयो रजनी थर, विश्राम रह्या एक गम ॥३॥ थाक्यो नूख्यो मीनडो, घट थकी काढ्यो दीन ॥ एक गमे पमी रह्यो, निशा श्रावी खेद खीन ॥४॥ श्रमे सुता
॥३१॥ निडावशे, नीकली बंदर श्रेण॥ सुतो दीगे मीनडो, मूषक मली करे केण ॥५॥ सबल शत्रु जे आपणो, दुःखी कीजे एह ॥ मोटो उंदर श्रावीयो, (मीनो) सुतो