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डाए, मिंजारना गुण केत ॥ सा० ॥ मनोवेग कहे सांजलो ए, मुज मिंजार गुण एत ॥ सा० ॥ १३ ॥ एंह शरीर गंध विस्तरे ए, बार जोयण परिमाण ॥ सा० ॥ मूषक नावे त्यां लगे ए, ए पूरव गुण जाण ॥ सा० ॥ १४ ॥ सांजलीने विप्र दरखीया ए, मांहो| मांदे बोले ताम ॥ सा० ॥ लीजीए मीनडो रुयडो ए, तो सरे सहुनां काम ॥ सा० ॥ १५ ॥ आपणे गाम जंदर घणा ए, दाण करे कणसूले ॥ सा० ॥ वेचातो लीजे मीनको ए, जील कहो तुमे मूल ॥ सा० ॥ १६ ॥ एह मीनो मे लेयशुं ए, सत्य वचन जाखो सार ॥ सा० ॥ मनोवेग कहे सांजलोए, एहनो मूल साठ दीनारं ॥ सा० ॥ १७ ॥ विप्र सहुए विचारी ए, मूल थोडो भिंजार ॥ सा० ॥ एटलो जान एक दिवसे होये ए, मूषक करे घरबार ॥ सा० ॥ १८ ॥ एक कहे मूज धोतीयां ए, एक कहे नारी घाट ॥ सा० ॥ चीर सामी फामी जंदरे ए, एक कहे खएयुं हाट ॥ सा० ॥ १८ ॥ एक कहे करड्यां कापडां ए, एक कहे खाधां धान ॥ सा० ॥ एक कहे पग दोय तथा ए, अंगुली ये वही वान ॥ सा० ॥ २० ॥ एम कही मलीया सदु ए, एकेक लीधो दाम ॥ सा० ॥ साठ सोनैया जोमीया ए, आव्या शालाए ताम ॥ सा० ॥ २१ ॥ वारुव कहे जीलगा
१ पाक.