________________
॥२४॥
VPNE
ब्राह्मण सुणो विवेक ॥ ६॥ नीच उंच कर्मो कर्या, ब्राह्मण सुणजो मर्म ॥ धृरथी मामीने कडं, ए देवमां श्यो धर्म॥७॥ गौरी नंदन गणपति, सकल देवमा सार ॥ प्रथम विनायक सहु जपे, विघन हरे नर नार ॥ ॥गजवदन गिरु अने, इंदालो वीदार ॥ मूषक वाहन शुजगति, पाय घुघरी घमकार ॥ए॥ सिकि नामे नारी जे. लक्ष लाल वली देय॥ मोटा मोदक श्रापे सही, कुटुंब मागे सहु तेय ॥१०॥ महीमां मोटो देवता, सुर नर सारे सेव ॥ प्राणीनां विघन हरे, काम करे ततखेव ॥११॥ विवाद कामे पूजीए, (घर) हाट वखारे तेह ॥ गणपतिने संजारीए, अवसर थावे एह ॥१२॥
___ढाल पंदरमी.
मीहरीया मन लाग्यो-ए देशी. | रावण विमासे मन इस्युं, आराधन करूं देवरे ॥ साजन सांजलो ॥ विनायक आवे
जो इहां, विघन जांजे सहु देवरे ॥ सा॥१॥ प्रपंच रची साधु एहने, पढी सुर नर साधुं जेहरे॥सा ॥ किंबहुना गणेश साधी, बंधीखाने घास्यो तेहरे॥सा ॥२॥ | विघनराजे हाथ जोमीया, विनवीयो रावण रायरे ॥ सा ॥ काज तमारां स्वामि हुँ
॥ २४