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तिहां, ए तो श्रेणिक चेलणा नार॥ सनेही ॥१॥ संप्रति राजा सांजलो, समकित कथा सुजाण सनेही ॥ए श्रांकणी॥बुद्धिनिधान वडो पुत्र , ए तो नामे अजयकुमार॥ सनेही॥सर्व कला कही पुरुषनी, ए तो राजधुरंधर धार ॥ स० सं०॥२॥श्रहंदास शेउ तिहां वसे, जेहने घर वित्त जरपूर ॥ स॥ चित्त उदार जिन चरचीने, कुखी |जन करे पुःख दूर ॥ स० सं०॥३॥ श्राप रमणीशुं सुख जोगवे, पाले ते नव वाडे |. शुशील ॥ स ॥ समकित सुधुं सदहे, धर्म करतो न करे ढील ॥ स० सं० ॥४॥
गिरि वैजारे एकदा, समोसर्या श्रीमहावीर ॥ स० ॥ वनपालके वधामणी, पासे || गौतमस्वामी वजीर ॥ स० सं० ॥५॥ सांजली संतोष्यो शुज परे, पृथ्वीपतिए परजात ॥ स ॥ महा मोडव करी वांदवा, श्राव्यो श्राणंद अंग न मात ॥स सं॥ पांच श्रनिगम साचवी, जगवंत उपर धरी जाव ॥ स० ॥ वांदी बेठा विधिपूर्वके,| कहे नवजल तारण नाव ॥ स सं० ॥॥ पूजाप्नाव थाणे चित्तमें, ए तो चोथ | तणो फल जोय ॥ स ॥ पूजोपगरण हाथे ग्रहे, ह तणो फल होय ॥ स सं० ॥ ॥ गमणागमणे फल अहमे, पासे श्राव्यो दशम फल जाण ॥ स ॥ ज्वालस फल जिन परवेशे, प्रदक्षिणे पक्ष फल आण ॥ स० सं० ॥ ए॥ मास फल जिन