________________
ढाल अगीयारमी.
मयणरे हा सती–ए देशी. उबरंगे सीता नणीरे हां,रामचंद रंग लाय॥सुगुणा सांजलो ॥धामा हाथी शणगारीया रे हां, गीत गान गवराय ॥ सु० ॥१॥ सुखासने बेसामीनेरे हां, श्राव्या निज |घर मांय ॥ सु० ॥ शोक सरवे रीसे बलीरे हां, नीचुं मुख करी जाय ॥ सु॥२॥ तेणे अवसर सीता सतीरे हां, विनवे निज पति पास ॥ सु०॥ जो आज्ञा
आपो तुमेरे हां, दीक्षा हरख उदास ॥ सु० ॥ ३॥ रामचंज सीता नणीरे हां, कहे| वचन अमोल ॥ सु० ॥ न घटे एवं बोलतारे हां, राखो मोटो तोल ॥ सु० ॥४॥
खामि कर्म घणां अडेरे हां, ते क्षय करवा काज ॥ सु॥ तप जप करूं एक ध्यान-1 लथीरे हां, आज्ञा आपो श्राज ॥ सु० ॥ ५ ॥ श्राझा लीधी निज पतिरे हां, सहुशुं
कीधी शीख ॥ सु०॥ साधुना संजोगथीरे हां, उबरंगेलीधी दीख ॥ सु० ॥६॥ विहार कयों अन्य देशमारे हां, पाले चारित्र पांच ॥सु॥पांच महाव्रत पालतारे हां, पांच सुमतिना संच ॥ सु०॥७॥त्रण गुपतिने गोपवीरे हां, चार कषायने वार॥ सु॥राग द्वेषने टालीनेरे हां, उतायों कर्मनो जार ॥ सु० ॥ ॥ आयुस्थिति पूरी करीरे हां, मास
-