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ढाल बही. त्रीपदीनी बेकर जोमी तामरे न विनवे-ए देशी. तिहांथी श्राव्या निज घरेरे, रावणनो परिवार, चंडनखा जगनी सही एy लातेहनो पुत्र ने एकरे, विधनपति नामे, नित्य जाये ले वन वही ए॥१॥ पर विघननी विद्यारे, साधवाने काजे, वंशजाल गुन्डा मांही ए ॥ साधे नित्य प्रते तेहरे, एकाकी| वन मांहे, नवी देखे कोइ तांदे ए ॥२॥ तेहने नोजन काजरे, माता तेहनी, ल
आवे ने नित्य प्रते ए॥ एम करतां एक दिनरे, राम ने लक्ष्मण, सीता साथे ले बते भाए ॥३॥ श्राव्या ने वनवासरे, तेह निज गमे, लक्ष्मण चोकी करता फरे ए ॥चिंतवी | | मनमां एमरे, पुर्धर कोश्क जीव, उपव श्रावीने करे ए॥४॥ते माटे ले खमगरे, वांसनी जालमां, बेदे ते खड्गे करी ए॥ ते कुंवर विघनपतिरे, बेगे ले ध्याने, घा वाग्ये गयो मरी ए ॥ ५॥ दीगे लक्ष्मणे तामरे, उरतो को घणो, निमित्त मात्र मिटे नहीं | |ए ॥ पाबा फरी वली श्रावेरे, कुंवरनी माता तिहां ॥ जोजन लेश श्रावी वही ए॥६॥ देखी कलेवर तामरे, रुदन करे घj, पुत्र कोणे मारो मारीयो ए॥शीश कुटे लट तोडेरे, हृदये श्रास्फाले, नयणे आंसु जारीयो ए॥७॥ मनमांचिंतवे एमरे, कोण होशे 5-1