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________________ प | ६३ ॥ ढाल वीशमी. बे को आप मेलावे साजना, साजना बेगले लागनां बे-ए देशी. श्रेणिक तव महोaa कर्यो, दीघां बोहोलां दाम हो ॥ पुत्र जनम जणावीयो, लोक | मांही ताम हो ॥ हो साजन वात सुखो इसी ॥ ए यांकणी ॥१॥ नंदन तव मोटो हुवो, हींडे ते अन्याय हो ॥ रुद्र जाव करे पर तणां पुत्रने देइ याय हो ||हो ॥२॥ राणीए रुद्र नाम कयुं, लोक ते जपे ताम हो ॥ रुद्र नाम कहे बोकरां, नासे ठामो गम हो । हो ० ॥३॥ ढींके पाटु चाबखे, मारे तेह अपार हो ॥ दुष्टपणे दंडे दणे, लोक पांडे पोकार हो ॥ हो० ॥४॥ चेलणाने घ्यावी कयुं, बहु लोके मली ताम हो ॥ राणी मन मांही चिंतवे, एहने नहीं कोई गम हो ॥ हो० ॥ ५ ॥ अणाचारथी उपन्यो, केम होए ते संत हो ॥ दूधे सिंच्यो जेम लींबको, केम होए ते महंत हो ॥ हो० ॥ ६ ॥ रीस करी राणी कदे, सांजल पापी जात हो । कुण तन कुणे जनमीयो, कोण ताहरो तात हो ॥ हो० ॥ ७ ॥ सांजलीने रुद्र चिंतवे, एह कारण बे केशुं हो ॥ श्रेणिकने आवी कयुं, श्रमे तो नहीं जमेशुं हो ॥ हो० ॥ ८ ॥ मुज माता पिता कहो, कारण शुं बे एह हो ॥ राजाए मांडीने कयुं, सहु वीत्युं तेह हो || हो० ॥ ए ॥ तव रुद्र तिहां गयो, ज्यां बे पिता ठाम हो ॥ सातकी खंग ‍ ॥ ३
SR No.034172
Book TitleDharmpariksha Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages336
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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