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खंगर
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र्मिपरीपेडेरी उजमाखिकारे लाल ॥११॥श्रावी वन विशाल, बीजे दिने बेहबेनमारे लाल ॥ । ६ ॥
| टायु सोकनुं सास, चेलणाए चिंतव्यु तिण घमीरे लाल ॥ १५ ॥श्रम विसरीयां बाइ,
चेलणा कहे ज्येष्टा सुणोरे लाल ॥ उतावलां तुमे जा, बाजरण लावो श्रम तणारे लाल ॥ १३ ॥ खेवाने तव जाम, ज्येष्टा जब पानी वलीरे लाल॥श्रावी सहीयरने गम, चेलणा तव श्रावी मलीरे लाल ॥१४॥ अपहरी अजयकुमार, लाव्यो निज पुर गममारे लाल ॥श्रेणिक चेलणा दोय, परणाव्यां उबरंगमारे लाल ॥ १५ ॥ श्राजरण ज्येष्टा सेय, श्रावी तेणे गमे वहीरे लाल ॥ चेलणाने वन मांहीं, जोश जाम देखे नहींरे लाल ॥ १६ ॥ श्रावी जिनने गेह, दुःख करी पानी वलीरे लाल ॥ एणे मुज देहनो नेम, परणेवा संयम नलीरे लाल ॥ १७ ॥ ज्येष्टाए तव जाम, दीक्षा लीधी रुयमीरे लाल ॥ शास्त्र शीखी ताम, जशोमती बाइ पासे खडीरे लाल ॥१७ ॥ ज्येष्टानी जे वात, सातकी राजाए सांजलीरे लाल ॥ दुवो जोगनो घात, मुज देवी बोली हतीरे लाल॥ रए॥श्राव्यो ते मन मांहीं, परणवानो नेम करीरे लाल ॥ दीदा लीधी त्यांहिं, समाधि गुप्ति गुरु पय धरीरेलाल ॥२०॥उंगणीशमी कही ढाल, खेम बीजानी ए सहीरे लाल ॥ रंगविजयनो शिष्य, नेमविजय कहे में कहीरे लाल ॥ १ ॥
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