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धर्मपरी०
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ढाल तेरमी. कंकण मोल लीयो-ए देशी.
संधी तव देवे करीरे साजन, संग्राम निवार्यो ताम । सुगुणा सांजलो ॥ गुरुपत्नी आपो वलीरे ॥ सा० ॥ जार्ज तुमे यपणे गम ॥ सु० ॥ १ ॥ सोम कहे सुर सांजलोरे ॥ सा० ॥ बोरु बे श्रम तपुं जेह ॥ सु० ॥ उदर मांहीं अबला तरे ॥ सा० ॥
पावो अमने तेह ॥ सु० ॥ २ ॥ सुरगुरु तव तिदां बोली योरे ॥ सा० ॥ सांनलो तुमे सहु देव ॥ सु० ॥ उदरे अपत्य बे मादरुंरे ॥ सा० ॥ किम छापावो ततखेव ॥ सु० ॥ ३ ॥ सोम कड़े बोरु माहोरे ॥ सा० ॥ बृहस्पति कहे ए मुज ॥ सु० ॥ गुरु जजमान ऊगको करेरे ॥ सा० ॥ नवि पामे कोइ सूज | सु०॥४॥ वढतां थकां बेदु वारीयारे ॥ सा० ॥ न्याय कीधो तिणे एह ॥ सु० ॥ गर्भवती स्त्रीने पूढी एरे ॥ सा० ॥ साधुं | कदेशे तेह ॥ सु० ॥ ५ ॥ सुर सघले मली पूढी युंरे ॥ सा० ॥ गुरु कामनीने ताम ॥ सु० ॥ सुधुं बोलो मावमीरे ॥ सा० ॥ केनो छापत्य अभिराम ॥ सु० ॥ ६ ॥ गुरुपत्नी कहे सांजलोरे ॥ सा०॥ उदर मांदे बे जेह || सु० ॥ तेने तमे पूबजोरे ॥ सा० ॥ साधुं | कदेशे वली ते ॥ सु० ॥ ७ ॥ तव तेषी ते जनमीयोरे ॥ सा० ॥ पुत्र दुवो नि
खंग २
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