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(भावार्थ: छन्द्रसहित विहानव सने भानव व सन्मान पामेल वंध्नीय अरिहंत हेच; सिद्धशीलाधर स्थित सिद्ध भगवान, पिन शासननी उन्नति रनारा श्री आयार्य हेवो, आगमोनुं पठनपाठन इरावनारा पूश्य Gपाध्यायको तथा रत्नाथीनुं आराधन पुरवाभां तत्पर सेवा प्रवर भुनिवरो; आ पांय परभ ष्ट देव सभाएं सतत ल्याए रो.)
ॐ हीं सह श्री गौतभस्वाभिने नभः । ॐ हीं सह श्री गौतभस्वाभिने नमः ।
ॐ हीं अहम् श्री गौतभस्वाभिने नभः । हवे वरन्या भंगलहीप प्रष्टावशे. प्रभुने मेष प्रार्थना है हीवडानो प्रधाश अन्नेनावनने अश्वाणो.हवे छवनरक्षानुं अलेध ऽवय स्यनारा 'आत्मरक्षाभंत्र'- लन्तिलावपूर्व पठन थशे.
॥ मालभरक्षाभं॥ ॐ परमेष्ठिनभस्टारं, सारं नवपटात्भभ। आत्मरक्षाऽरं व राभं स्भराभ्यह
॥१॥ ॐ नभो अरिहंता शिरस् शिरसि स्थितम् । ॐ नमो सव्व सिद्धा, भुजे भुजपटांमर ॥२॥ ॐ नमो आयरिया, अंगरक्षातिशायिनी । ॐ नमो वाथा आयुधं हस्तथोर्द्रढम् ॥3॥
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