________________
सर्व ज्वर नाशक मन्दार-सुन्दर-नमेरु-सुपारिजात संतानकादि-कुसुमोत्कर-वृष्टिरुद्धा | गन्धोद-बिन्दु-शुभ-मन्द-मरुत्प्रपाता, दिव्या दिवः पतति ते वयसां ततिर्वा ॥33॥
33 मन्दार सुन्दर नमेरु सुपारिजातॐ हीं अर्ह णमो सव्वोसहि-पत्ताणं
ही ही ही ही हीं
क्लीं क्लीं क्लीं क्ली क्ली
__दिव्या दिवः पतति ते वचसा ततिर्वा ।। परमयोगीश्वराय नमो नमः स्वाहा।
ही ही ही
ही ही ही (झौं झौं नमः स्वाहा?) ॐ हीं श्रीं सन्तानकादि कुसुमोत्कर वृष्टिरुद्धा।
क्ली
क्ली क्लीं क्ली क्ली
(D) BY-23 ___गन्धोद बिन्दु शुभ मन्द मरुत्प्रपाता