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संग्रहणी आदि उदर पीडा नाशक गम्भीर-तार-रव-पूरित-दिग्वभागस्त्रैलोक्य-लोक-शुभ-संगम-भूति-दक्षः |
सद्धर्म-राज-जय-घोषण-घोषकः सन्, खे दुन्दुभिर्-ध्वनति ते यशसः प्रवादि ||32॥
32 गम्भीर तार रव परित दिग्विभाग
ॐ हीं अर्ह णमो घोरगुणबंभचारिणं
। सौ सौ
सौं सौ.
खे दुन्दुभि नति ते यशसः प्रवादी।।
सर्वसिद्धिं वृद्धिं वांछं कुरु स्वाहा।
सा सो
हीं
E ॐ नमो हां हीं हूं हौं हः स्त्रैलोक्य लोक शुभ संगम भूति दक्षः ।
६ सा सौ
ही
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Deep सद्धर्म राज जय घोषण घोषकः सन्