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रागपूर्वक रूप-निरीक्षण से विकार-वृद्धि; स्त्री को रागपूर्वक देखने का निषेध (गाथा १); स्त्री का रूप दीपक के समान : उससे कामी पुरुष का पतंग के समान विनाश (गा० २) कामिनी जादूगरनी (गा० ३) रंभा सदृश मधुर-भाषी नारी को नयन टिका कर देखने से व्रत-हानि (गा० ४);
ma कामांध की रूप-आसक्ति और दुर्गति का बन्धन (गा० ५); सुन्दर स्त्री भी मल-मूत्र का भण्डार, अतः अनासक्त होने का उपदेश (गा० ६); ल नारी 'चर्म दीवड़ी' और अशुचि तथा अपवित्रता की थैली (गा० ७); शिवाय देह के क्षण भंगुर तथा औदारिक होने का कथन (गा०.८)
मा राजीमती.तथा रथनेमि की कथा.(गा० ९)
जार रूपी राजा की कथा (गा० १०);
माफी मानला एलाची पुत्र तथा नटी की कथा (गा० ११-१२) को मिली की मणिरथ मैनरहा की कथा (गा० १३) ;
- गलामा अरणक की कथा (गा० १४),
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मनमा क्षत्रिय तथा चोर की कथा (गा० १५-१७) ; नामा अनेक व्यक्तियों के नाश का कथन (गा० १८); रूप-कथा श्रवण मात्र से भ्रष्ट होने का कथन (गा० १९); कच्चीकारीवाले का सूर्य की ओर देखने पर अंधा हो जाना, उसी तरह नारी-रूप-दर्शन से ब्रह्मचारी के व्रत की हानि (गा० २०); उपसंहार (गा० २१)।.... टिप्पणियाँ EDITOR
- पृष्ठ ३३-३६ ६-ढाल ६ (दुहा ३: गाथा:): पाँचर्चा बाड़ Sinो .. ३७-३८
जहाँ संयोगी स्त्री-पुरुष-पर्दे के अन्तर पर रहते हों, वहाँ ब्रह्मचारी के रहने का निषेध (दोहा १); ... संयोगी के पास रहने से शब्द-श्रवण, शब्द-श्रवण से ब्रह्मचर्य की हानि (दो० २-३) ;
.. ब्रह्मचारी को व्रत की रक्षा तथा झूठे कलंक से बचने के लिये पाँचवीं बाड़ सुनने का उपदेश (गाथा १); स्त्री-पुरुष युक्त स्थान पर रहने से उत्पन्न होनेवाले दोषों के वर्णन करने की प्रतिज्ञा (गा० २); ........... प्रियतम के साथ क्रीड़ा करती हुई स्त्री के कूजन, रुदन एवं मधुरालापों के शब्द कान में पड़ने से व्रत के नाश होने की संभावना (गा० ३-५); मेघ-गर्जन और मोर और पपीहे का दृष्टान्त : कामोद्दीपक शब्दों से व्रत की हानि (गा० ६); उपसंहार (गा० ७)।
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ya mi टिप्पणियाँ: RATON
TER : ३६ ७-ढाल ७ (दुहा २: गाथा १५) : छठी बाड़ा
लाल किला ४०-४२ चंचल मन को पूर्वसेवित भोगों के स्मरण से अस्थिर न करने का आदेश (दोहा १) भोगों के स्मरण से व्रत की हानि एवं अपयश (दो० २); . स्त्रियों के साथ भोगे हुए पूर्व भोगों के स्मरण से ब्रह्मचर्य की हानि । अत: पूर्व भोगों को स्मरण न करने का आदेश '(गाथा१-७); पूर्व में भोगे हुये शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध, में से एक के भी स्मरण से छठी बाड़ का भंग (गा० ८); 127
am बाड़ के खण्डित होने पर ब्रह्मचर्य का नाश : जल और पाल का उदाहरण (गा० ६) जिनरक्षित तथा रयणा देवी की कथा (गा० १०)
FEEPEn tre विषयुक्त छाछ पीनेवाले की कथा (गा० ११) ।
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