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टिप्पणियाँ : ढाल-१
अर्थात् शरीर के सव अंग गल गये हैं, वाल पक गये हैं. मुख में एक भी दांत नहीं है, वुढापा आ गया है... लाठी के सहारे चलता है, उसपर भी वह वृद्ध आशा का पिण्ड नहीं छोड़ता है। अरे मूर्ख | तु आशा को छोड़कर गोविन्द का भजन कर। .
. [५] दोहा ६ 'उत्तराध्ययन' सूत्र में कहा है :
"जैसे एक कंकणी के लिए कोई मुर्ख मनुष्य हजार मोहरों को हार जाता है और जैसे अपथ्य आम को खाकर राजा राज्य को हार जाता है उसी तरह मूर्ख तुच्छ मानुषी भोगों के लिए उत्तम सुखो-देव-सुखों को खो देता है।"
"मनुष्यों के काम-भोगों को सहस्रों गुणा करने पर भी आयु और भोग की दृष्टि से देवताओं के काम ही दिव्य होते हैं। मनुष्यों के काम देवताओं के कामों के सामने वैसे ही हैं जैसे सहस्र मोहर की तुलना में कंकणी व राज्य की तुलना में आम । प्रज्ञावान की देवलोक में जो अनेक अयुत वर्षों की स्थिति है उसको दुर्वृद्धि-मूर्ख जीव-सौ वर्ष से भी न्यून आयु में विषय-भौगों के वशीभूत होकर हार जाता है।" . ....... "इस सीमित आयु में काम-भोग कुश के अग्रभाग के समान स्वल्प हैं । तुम किस हेतु को सामने रखकर आगे के योग-क्षेम को नहीं समझते?"
स्वामीजी ने इस छ8 दोहे में जो वात कही है वह 'उत्तराध्ययन' आगम के उपर्युक्त प्रवचन से प्रभावित मालूम देती है। .....
कंकणी और आम्रफल की कथा के लिए देखिए परिशिष्ट-क : कथा २ और ३1 ... ...................... ........ [६] दोहा ७
___ मनुष्य भव-प्राप्ति को दुर्लभता को बताने के लिए जो दस दृष्टान्त प्रसिद्ध हैं, उनका विवरण परिशिष्ट में दिया गया हैं। देखिये परिशिष्ट-क कथा ४-१२। [७] ढाल गा० १, २ .
'प्रश्नव्याकरण' सूत्र में बत्तीस उपमाएँ देकर ब्रह्मचर्य को विनय, शील, तपादि- सब गुण-समूह से प्रधान.बताया है। स्वामीजी का संकेत उसी ओर लगता है। वे उपमाएँ नीचे दी जाती हैं : -
१-जिस प्रकार ग्रह, नक्षत्र तारादि में चंद्रमा प्रधान है. उसी प्रकार सव व्रतों में ब्रह्मचर्य-व्रत प्रधान है। २जिस प्रकार मणि, मोती, प्रबाल और रत्नों के उत्पत्ति स्थानों में समुद्र प्रधान है, उसी प्रकार सव व्रतों में ब्रह्मचर्य-व्रत प्रधान है। ३-जिस प्रकार रत्नों में वैडूर्य जाति का रत्न प्रधान है, उसी प्रकार सव व्रतों में ब्रह्मचर्य-व्रत प्रधान है।
.. 8-जिस प्रकार आभूषणों में मुकुट प्रधान है, उसी प्रकार सब व्रतों में ब्रह्मचर्य-व्रत प्रधान है। ..... ......... ५-जिस प्रकार वस्त्रों में क्षौम युगल वस्त्र प्रधान है, उसी प्रकार सब व्रतों में ब्रह्मचर्य-व्रत प्रधान है। .. ६-फूलों में जिस प्रकार कमल ( अरविंद कमल) प्रधान है, उसी प्रकार सब व्रतों में ब्रह्मचर्य-व्रत प्रधान है। ७-जिस प्रकार चन्दनों में गोशीर्ष चन्दन प्रधान है, उसी प्रकार सव व्रतों में ब्रह्मचर्य-व्रत प्रधान है। ८ जिस प्रकार चमत्कारी औषधियों के उत्पत्ति स्थानों में हिमवान् पर्वत प्रधान है. उसी प्रकार सब व्रतों में ब्रह्मचर्य-व्रत प्रधान है।
९-जिस प्रकार नदियों में शीतोदा नदी प्रधान है, उसी प्रकारांसव व्रतों में ब्रह्मचर्य-व्रत प्रधान है। --१०-जैसे स्वयम्भू रमण समुद्र सब समुद्रों में महान् अतएव प्रधान है, उसी प्रकार सब व्रतों में ब्रह्मचर्य-व्रत प्रधान है।
११-जिस प्रकार मानुषोत्तर, कुण्डलवर आदि माण्डलिक पर्वतों में रुचकवर पर्वत श्रेष्ठ एवं प्रधान है. उसी प्रकार ब्रह्मचर्य-व्रत सब व्रतों में प्रधान है।
१२-जिस प्रकार हाथियों में शकेन्द्र का ऐरावत हाथी प्रधान है, उसी प्रकार सब व्रतों में ब्रह्मचर्य-व्रत प्रधान है। ।
१-उक्तराध्ययन अ०७: गा० ११ १२ १३, २४
जहा कागिणिए हेठ, सहस्सं हारए नरो । अपच्छं अम्बर्ग भोच्चा, राया रज्ज तु हारए ।। ११ ।। एवं माणुस्सगा कामा, देवकामाण अन्तिए । सहस्सगुणिया भुज्जो, आउं कामा य दिव्विया ॥ १२ ॥ अणेगवासानउया जा, सा पण्णवओ ठिई | जाणि जीयन्ति दुम्मेहा, उणवाससयाउए ।। १३ ॥ कसरगमेत्ता इमे कामा, सन्निरुद्धम्मि आउए । कस्स हेउं पुराकाउं."जोगक्षेमं न संविदे ॥ २४ ॥
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