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L_ श्रमण सूक्त
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अससत्त पलोएज्जा
नाइदूरावलोयए। उप्फुल्ल न विणिज्झाए नियट्टेज्ज अयपिरो।
(दस ५ (१) . २३)
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श्रमण अनासक्त दृष्टि से देखे। बहत दूर न देखे। उत्फुल्ल दृष्टि से न देखे । भिक्षा का निषेध करने पर विना कुछ कहे वापस चला जाए।
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