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Anem
श्रमण सूक्त
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(३२
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न चरेज्ज वासे वासते
महियाए व पडतीए। महावाए व वायते तिरिच्छसपाइमेसु वा।।
(दस. ५ (१) ८)
वर्षा बरस रही रहो, कोहरा गिर रहा हो, महावात चल रहा हो और मार्ग से तिर्यक् सपातिम जीव जा रहे हो तो भिक्षा के लिए न जाए।
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