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श्रमण सूक्त
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ओवायं विसम खाणु विज्जल परिवज्जए ।
सकमेण न गच्छेज्जा
विज्जमाणे परक्कमे ||
(दस ५(१) ४)
दूसरे मार्ग के होते हुए गड्ढे, उवड-खावड भू-भाग, कटे हुए सूखे पेड या अनाज के डठल और पकिल मार्ग को टाले तथा सक्रम (जल या गड्ढे को पार करने के लिए काष्ठ या पापाण रचित पुल) के ऊपर से न जाये ।
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