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श्रमण सूक्त
(३०८
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गमणे आवस्सिय कुज्जा
ठाणे कुज्जा निसीहिय। आपुच्छणा सयकरणे
परकरणे पडिपुच्छणा।। छदणा दव्वजाएण
इच्छाकारो य सारणे। मिच्छाकारो य निदाए
तहक्कारो य पडिस्सुए।। अब्भुट्ठाण गुरुपूया
अच्छणे उवसपदा। एव दुपचसजुत्ता सामायारी पवेइया।।
(उत्त २६
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५-७)
(५) मुनि स्थान से बाहर जाते समय आवश्यकी
करे-आवश्यकी का उच्चारण करे। (२) स्थान में प्रवेश करते समय नैपेधिकी करे-नैपेधिकी का
उच्चारण करे। (३) अपना कार्य करने से पूर्व आपृच्छा करे-गुरु से अनुमति
ले।
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