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श्रमण सूक्त
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धम्माराम चरे भिक्खू
धिइम धम्मसारही। धम्मारामरए दते बभचरेसमाहिए।।
(उत्त १६ १५)
धैर्यवान, धर्म के रथ को चलाने वाला, धर्म के आराम मे रत, दात और ब्रह्मचर्य मे चित्त का समाधान पाने वाला भिक्षु धर्म के आराम मे विचरण करे।