________________
अमण भूल
श्रमण सूक्त
ONE
-
(
१६
-
जया मुडे भवित्ताण
पब्बइए अणगारिय। तया सवर-मुक्किट्ठ धम्म फासे अणुत्तर ।।
(दस ४ . १६)
-
जब मनुष्य मुड होकर अनगार-वृत्ति को स्वीकार करता है तब वह उत्कृष्ट सवरात्मक अनुत्तर धर्म का स्पर्श करता
-
mananews
Pawat
-
--