________________
-
m/o
श्रमण सूक्त
|
--
(२४४
चिच्चाण धण च भारिय
पवइओ हि सि अणगारिय। मा वत पुणो वि आइए सयम गोयम ! मा पमायए।। ।
(उत्त १० २६)
।
गाय आदि धन और पत्नी का त्याग कर तू अनगार-वृत्ति के लिए घर से निकला है। वमन किए हुए काम-भोगो को फिर से मत पी। हे गौतम | तू क्षण भर भी प्रमाद मत कर।
-
-